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Rabindranath Tagore Poems in Hindi - रबिन्द्रनाथ टैगोर की 10 कविताएँ

Posted by Suresh Kumar
» hindi poems, » hindi quotes
» Monday, September 26, 2016
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रबिन्द्रनाथ टैगोर की 10 कविताएँ - Rabindranath Tagore Poems in Hindi


आज हम इस पोस्ट मे Rabindranath Tagore Poems in Hindi मतलब रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की कविताएँ हिन्दी मे लिखेंगे.

रबिन्द्रनाथ टैगोर जी एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं – भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

Rabindranath Tagore जी की कविताएँ शुरू करने से पहले हम उनके बारे मे तोड़ा और जानेंगे.


रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे मे


रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 May 1861 को कोलकाता में एक अमीर बंगाली परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था. उन्हें प्रकृति से बहुत लगाव था. उनका मानना था कि विद्यार्थियों को प्राकृतिक माहौल में हीं पढ़ाई करनी चाहिए. 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह सम्पन्न हुआ. उन्होंने अपनी पहली कविता 8 साल की छोटी आयु में हीं लिख डाली थी. 7 अगस्त 1941 को यह महान व्यक्तित्व इस संसार को छोड़कर चला गया.


रबिन्द्रनाथ टैगोर की 5 कविताएँ (Rabindranath Tagore Poems in Hindi)


Rabindranath Tagore


1. Rabindranath Tagore Poems in Hindi (मेरा शीश नवा दो - गीतांजलि (काव्य)


मेरा शीश नवा दो अपनी
चरण-धूल के तल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।

अपने को गौरव देने को
अपमानित करता अपने को,
घेर स्वयं को घूम-घूम कर
मरता हूं पल-पल में।

देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।
अपने कामों में न करूं मैं
आत्म-प्रचार प्रभो;
अपनी ही इच्छा मेरे
जीवन में पूर्ण करो।

मुझको अपनी चरम शांति दो
प्राणों में वह परम कांति हो
आप खड़े हो मुझे ओट दें
हृदय-कमल के दल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।
-रवीन्द्रनाथ टैगोर


2. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (होंगे कामयाब)


होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।


3. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (चल तू अकेला!)


तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…


4. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (नहीं मांगता)


नहीं मांगता, प्रभु, विपत्ति से,
मुझे बचाओ, त्राण करो
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,
इतना, हे भगवान, करो।
नहीं मांगता दुःख हटाओ
व्यथित ह्रदय का ताप मिटाओ
दुखों को मैं आप जीत लूँ
ऐसी शक्ति प्रदान करो
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,
इतना, हे भगवान,करो।

कोई जब न मदद को आये
मेरी हिम्मत टूट न जाये।
जग जब धोखे पर धोखा दे
और चोट पर चोट लगाये –
अपने मन में हार न मानूं,
ऐसा, नाथ, विधान करो।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,
इतना, हे भगवान,करो।
नहीं माँगता हूँ, प्रभु, मेरी
जीवन नैया पार करो
पार उतर जाऊँ अपने बल
इतना, हे करतार, करो।
नहीं मांगता हाथ बटाओ
मेरे सिर का बोझ घटाओ
आप बोझ अपना संभाल लूँ
ऐसा बल-संचार करो।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,
इतना, हे भगवान,करो।

सुख के दिन में शीश नवाकर
तुमको आराधूँ, करूणाकर।
औ’ विपत्ति के अन्धकार में,
जगत हँसे जब मुझे रुलाकर–
तुम पर करने लगूँ न संशय,
यह विनती स्वीकार करो।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,
इतना, हे भगवान, करो।


5. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (मन जहां डर से परे है)


“मन जहां डर से परे है
और सिर जहां ऊंचा है;
ज्ञान जहां मुक्*त है;
और जहां दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;
जहां शब्*द सच की गहराइयों से निकलते हैं;
जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;
जहां कारण की स्*पष्*ट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्*ता खो नहीं चुकी है;
जहां मन हमेशा व्*यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्*हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्*वर्ग में पहुंच जाता है
ओ पिता
मेरे देश को जागृत बनाओ”
– रवीन्द्रनाथ टैगोर


6. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (आमि / बहु वासनाय प्राणपणे चाइ...। )


विविध वासनाएँ हैं मेरी प्रिय प्राणों से भी
वंचित कर उनसे तुमने की है रक्षा मेरी;
संचित कृपा कठोर तुम्हारी है मम जीवन में।

अनचाहे ही दान दिए हैं तुमने जो मुझको, 
आसमान, आलोक, प्राण-तन-मन इतने सारे, 
बना रहे हो मुझे योग्य उस महादान के ही, 
अति इच्छाओं के संकट से त्राण दिला करके।

मैं तो कभी भूल जाता हूँ, पुनः कभी चलता, 
लक्ष्य तुम्हारे पथ का धारण करके अन्तस् में, 
निष्ठुर ! तुम मेरे सम्मुख हो हट जाया करते। 

यह जो दया तुम्हारी है, वह जान रहा हूँ मैं;
मुझे फिराया करते हो अपना लेने को ही।
कर डालोगे इस जीवन को मिलन-योग्य अपने, 
रक्षा कर मेरी अपूर्ण इच्छा के संकट से।।


7. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (प्रेमे प्राणे गाने गन्धे आलोके पुलके...।)


प्रेम, प्राण, गीत, गन्ध, आभा और पुलक में, 
आप्लावित कर अखिल गगन को, निखिल भुवन को, 
अमल अमृत झर रहा तुम्हारा अविरल है।

दिशा-दिशा में आज टूटकर बन्धन सारा-
मूर्तिमान हो रहा जाग आनंद विमल है;
सुधा-सिक्त हो उठा आज यह जीवन है।

शुभ्र चेतना मेरी सरसाती मंगल-रस, 
हुई कमल-सी विकसित है आनन्द-मग्न हो;
अपना सारा मधु धरकर तब चरणों पर।

जाग उठी नीरव आभा में हृदय-प्रान्त में, 
उचित उदार उषा की अरुणिम कान्ति रुचिर है, 
अलस नयन-आवरण दूर हो गया शीघ्र है।।


8. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (अनसुनी करके)


अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।

देखकर तुझे मिलन की बेर
सभी जो लें अपने मुख फेर
न दो बातें भी कोई क रे
सभय हो तेरे आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।

तो अकेला ही तू जी खोल
सुरीले मन मुरली के बोल
अकेला गा, अकेला सुन ।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला ही चल आगे रे ।

जायँ जो तुझे अकेला छोड़
न देखें मुड़कर तेरी ओर
बोझ ले अपना जब बढ़ चले
गहन पथ में तू आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।


9. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - विपदाओं से रक्षा करो, यह न मेरी प्रार्थना


युगजीत नवलपुरी द्वारा अनुवादित

विपदाओं से रक्षा करो-
यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।
दुख से व्यथित मन को मेरे
भले न हो सांत्वना,
यह करो : दुख पर मिले विजय।
मिल सके न यदि सहारा,
अपना बल न करे किनारा; –
क्षति ही क्षति मिले जगत् में
मिले केवल वंचना,
मन में जगत् में न लगे क्षय।
करो तुम्हीं त्राण मेरा-
यह न मेरी प्रार्थना,
तरण शक्ति रहे अनामय।
भार भले कम न करो,
भले न दो सांत्वना,
यह करो : ढो सकूँ भार-वय।
सिर नवाकर झेलूँगा सुख,
पहचानूँगा तुम्हारा मुख,
मगर दुख-निशा में सारा
जग करे जब वंचना,
यह करो : तुममें न हो संशय।

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10. Rabindranath Tagore Poems in Hindi - (लेगेछे अमल धवल पाले मन्द मधुर हावा)


लगी हवा यों मन्द-मधुर इस
नाव-पाल पर अमल-धवल है;
नहीं कभी देखा है मैंने
किसी नाव का चलना ऐसा।

लाती है किस जलधि-पार से
धन सुदूर का ऐसा, जिससे-
बह जाने को मन होता है;
फेंक डालने को करता जी
तट पर सभी चाहना-पाना !
पीछे छरछर करता है जल, 
गुरु गम्भीर स्वर आता है;
मुख पर अरुण किरण पड़ती है, 
छनकर छिन्न मेघ-छिद्रों से।

कहो, कौन हो तुम ? कांडारी।
किसके हास्य-रुदन का धन है ?
सोच-सोचकर चिन्तित है मन, 
बाँधोगे किस स्वर में यन्त्र ?
मन्त्र कौन-सा गाना होगा ?

हम उमीद करते है की आपको ये 10 Rabindranath Tagore Poems in Hindi ज़रूर पसंद आई होंगी! तो अब तक आपको ये Hindi poems by Rabindranath tagore पोस्ट कैसा लगा कॉमेंट करके ज़रूर बताएँ हमे!
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1 comments:

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Reply
may delete February 18, 2018 at 4:55 AM

i dont know why,the hindi translation is good in the poem 'when the mind is without fear',but i dont get the amazing feeling of the english poem in the hindi version.

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