Hindi Poems on Mother माँ पर हिंदी कविता
हेलो दोस्तों आज हम Hindi
Poems on Mother मतलब की माँ पर हिंदी कविता पढेगे! आज ये
Hindi Poems on Mother वाली पोस्ट लिखते हुए मुझे खुद गर्व महसूस हो रहा है! चाहे कोई बचा हो या कोई बूढ़ा माँ की ममता के लिए हर कोई तरसता है! एक माँ ही तो है जो इस दुनिया निश्चल प्रेम देती है! माँ के चर्नो मे ही स्वर्ग है और अगर माँ की सेवा दिल करो तो चारो धाम के सुख प्राप्त हो जाएँ!
आज हम इस पोस्ट मे कुच्छ ऐसे ही माँ की सेवा मे कविताएँ अपडेट करने जा रहे है!
ये
Hindi poems on Mother जो हम इस पोस्ट मे जोड़ रहे है वो अलग अलग कवियों और लिखारियों की रचनाएँ है, उनके नाम हर Poem के साथ मे लिखा गया है!
हम सब की पता है की एक माँ की हमारे जीवन में कितनी जरूरत होती है! एक माँ ही ऐसी होती है जो हमको सच्चे दिल से प्यार करती है! इसके साथ साथ हमारे सुख और दुःख में भी माँ हमारा साथ देती है! एक माँ के लिए उसका बेटा हमेसा सही होता है! आज हम उसी माँ के लिए कुछ कविता लेकर आये है! यदि आपको ये माँ के ऊपर ये hindi kavita पसंद आये तो इसको शेयर करना ना भूले!
अगर आप अभी अपनी कोई माँ से जुड़ी कविता इस पोस्ट मे जोड़ना चाहते है तो आप Contact वेल पेज पे जाकर हमसे संपर्क कर सकते है! आपकी Poem और आपका नाम इस पोस्ट मे दिखाया जाएगा!
ये Hindi poems on Mother हर वर्ग के लोगों के लिए है खास कर बचों के लिए और विद्यार्थियों के लिए! वो इन Poems को अपने सिलबस मे इस्तेमाल कर सकते हैं!
तो चलिए शुरू करते हैं...
Hindi Poems on Mother– 1 (कुसुम)
हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ….
कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ…..
हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ…..
अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ……
हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ….
जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ…..
दुनिया की तपिश में, हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ…..
खुद चाहे कितनी थकी हो, हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ….
प्यार भरे हाथोँ से, हमेशा हमारी थकान मिटाती है माँ…..
बात जब भी हो लजीज खाने की, तो हमें याद आती है माँ……
रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ…….
लब्जोँ मेँ जिसे बयाँ नहीँ किया जा सके ऐसी होती है माँ…….
भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैँ
– कुसुम
Hindi Poems on Mother– 2 (गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’)
माँ आँखों से ओझल होती,
आँखें ढूँढ़ा करती रोती।
वो आँखों में स्वप्न सँजोती,
हर दम नींद में जगती सोती।
वो मेरी आँखों की ज्योति,
मैं उसकी आँखों का मोती।
कितने आँचल रोज भिगोती,
वो फिर भी ना धीरज खोती।
कहता घर मैं हूँ इकलौती,
दादी की मैं पहली पोती।
माँ की गोदी स्वर्ग मनौती,
क्या होता जो माँ ना होती।
नहीं जरा भी हुई कटौती,
गंगा बन कर भरी कठौती।
बड़ी हुई मैं हँसती रोती,
आँख दिखाती जो हद खोती।
शब्द नहीं माँ कैसी होती,
माँ तो बस माँ जैसी होती।
आज हूँ जो, वो कभी न होती,
मेरे संग जो माँ ना होती।।
-गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’
Hindi Poems on Mother– 3 (अर्चना हरित)
साल के बाद
आया है यह दिन
करने लगे हैं सब याद
पल छिन
तुम ना भूली एक भी चोट या खुशी
ना तुमने भुलाया
मेरा कोई जन्म दिन
और मैं
जो तुम्हारी परछाई हूँ
वक्त की चाल-
रोज़गार की ढाल
सब बना लिए मैंने औज़ार
पर माँ!
नासमझ जान कर
माफ़ करना
करती हूँ तुमको प्यार
मैं हर पल
खामोशी तनहाई में
अर्पण किए
मैंने अपनी श्रद्धा के फूल तुमको
जानती हूँ
मिले हैं वो तुमको
क्योंकि
देखी है मैंने तुम्हारी निगाह
प्यार गौरव से भरी मुझ पर
जब भी मैं तुम्हारे बताए
उसूलों पर चलती हूँ चुपचाप
माँ!
मुझमें इतनी शक्ति भर देना
गौरव से सर उठा रहे तुम्हारा
कर जाऊँ ऐसा कुछ जीवन में
बन जाऊँ
हर माँ की आँख का सितारा
आज मदर्स डे के दिन
"अर्चना" कर रही हूँ मैं तुम्हारी
श्रद्धा, गौरव और विश्वास के चंद फूल लिए
-अर्चना हरित .
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Hindi Poems on Mother– 4 (देवी नांगरानी)
मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।
प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।
दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।
-देवी नांगरानी
Hindi Poems on Mother– 5 (बृजेशकुमार शुक्ला)
जन्म दात्री
ममता की पवित्र मूर्ति
रक्त कणो से अभिसिंचित कर
नव पुष्प खिलाती
स्नेह निर्झर झरता
माँ की मृदु लोरी से
हर पल अंक से चिपटाए
उर्जा भरती प्राणो में
विकसित होती पंखुडिया
ममता की छावो में
सब कुछ न्यौछावर
उस ममता की वेदी पर
जिसके
आँचल की साया में
हर सुख का सागर!
-बृजेशकुमार शुक्ला
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Hindi Poems on Mother– 6 (भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण')
याद तुम्हारी आई
हाँ माँ याद तुम्हारी आई, कंठ रूँधा आँखें भर आई
फिर स्मृति के घेरों में तुम मुझे बुलाने आई
मैं अबोध बालक-सा सिसका सुधि बदरी बरसाई
बालेपन की कथा कहानी पुनः स्मरण आई
त्याग तपस्या तिरस्कार सब सहन किया माँ तुमने
कर्म पथिक बन कर माँ तुमने अपनी लाज निभाई
तुमसे ही तो मिला है जो कुछ उसको बाँट रहा हूँ
तुम उदार मन की माता थीं तुमसे जीवन की निधि पाई
नहीं सिखाया कभी किसी को दुख पहुँचाना
नहीं सिखाया लोभ कि जिसका अन्त बड़ा दुखदाई
स्वच्छ सरल जीवन की माँ तुमसे ही मिली है शिक्षा
नहीं चाहिए जग के कंचन 'औ झूठी पृभुताई
मुझे तेरा आशीष चाहिए और नहीं कुछ माँगू
सदा दुखी मन को बहला कर हर लूँ पीर पराई
यदि मैं ऐसा कर पाऊँ तो जीवन सफल बनाऊँ
तेरे चरणो में नत हो माँ तेरी ही महिमा गाई
- भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण'
Hindi Poems on Mother– 7 (डॉ. जगदीश व्योम)
माँ कबीर की साखी जैसी
तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा की पदावली-सी
माँ है ललित रुबाई-सी।
माँ वेदों की मूल चेतना
माँ गीता की वाणी-सी
माँ त्रिपिटक के सिद्ध सूक्त-सी
लोकोत्तर कल्याणी-सी।
माँ द्वारे की तुलसी जैसी
माँ बरगद की छाया-सी
माँ कविता की सहज वेदना
महाकाव्य की काया-सी।
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
सावन की पुरवाई-सी
माँ बसंत की सुरभि सरीखी
बगिया की अमराई-सी।
माँ यमुना की श्याम लहर-सी
रेवा की गहराई-सी
माँ गंगा की निर्मल धारा
गोमुख की ऊँचाई-सी।
माँ ममता का मानसरोवर
हिमगिरि सा विश्वास है
माँ श्रद्धा की आदि शक्ति-सी
काबा है कैलाश है।
माँ धरती की हरी दूब-सी
माँ केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
माँ की छवि ही न्यारी है।
माँ धरती के धैर्य सरीखी
माँ ममता की खान है
माँ की उपमा केवल माँ है
माँ सचमुच भगवान है।
-डॉ. जगदीश व्योम
Hindi Poems on Mother– 8 (नमिता कुमारी ( एम. ए. प्रथम वर्ष )
माँ की ममता ईश्वर का वरदान है
सच पूछो तो माँ, इन्सान नहीं भगवान है
माँ के चरणों में जन्नत का हर रूप होता है
माँ में हीं ईश्वर का हर स्वरूप होता है
माँ, जो हर बच्चे के दिल की चाह होती है
मुसीबत में एक नई राह होती है
जो हर किसी के करीब नहीं होती
जो हर किसी को नसीब नहीं होती
माँ की एहमियत उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं होती है
जो हर बच्चे की जान होती है
जो हर रिश्ते का मान होती है
सभी का एक मात्र अरमान होती है
हर किसी को माँ की ममता मिले, अपनी माँ से
कभी कोई न बिछड़े अपनी माँ से
यही है मेरी एक मात्र दुआ उस खुदा से
जिनकी माँ हो, उसे क्या पता कि माँ क्या होती है
माँ को जानना है तो उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं होती है
– नमिता कुमारी ( एम. ए. प्रथम वर्ष )
मै उम्मीद करता हूँ! की आपको
Hindi Poem on Mother पसंद आया होगा! यदि आपको ये सभी kavita पसंद आई हो तो इसको अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले!