दोस्तो, आज सबसे पहले आप सब को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ! इस शुभ अवसर पे हम
Poems on Diwali in Hindi लेकर आपके सामने हाजिर है! इन
Diwali poems in Hindi को आप अपने स्कूल के दीवाली और Festival, functions पे गेया सकते है, अपने स्कूल के सिलबस मे उपयोग कर सकते है! ये दीपावली की पोवेम्स खास कर शुभकामनाएँ भेजने के लिए बहुत ही अच्छा है!
तो चलिए शुरू करते हैं...
1. Poem on Diwali in hindi - साथी, घर-घर आज दिवाली
कवि:
Harivansh Rai Bachchan
साथी, घर-घर आज दिवाली!
फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
2. Poem on Diwali - दीवाली हम सदा एसे मनाएं
कवि:
रचना श्रीवास्तव
कहा उस ने
आओ प्रिये दीवाली मनाएं
अपने संग होने की
खुशियों में समायें
आओ प्रिये दीवाली मनाएं
हाथ पकड़
दिए के पास लाई
जलाने को जो उसने लौ उठाई
तभी देखा
दूर एक घर
अंधेरों में डूबा था
बम के धमाके से
ये भी तो थरराया था
आँगन में उनके
करुण क्रन्दन का साया था
पड़ोस डूबा हो जब अन्धकार में
तो घर हम अपना कैसे सजाएँ
तुम ही कहो प्रिये
दीवाली हम कैसे मनाएं?
कर के हिम्मत उसने
एक फुलझडी थमाई
लाल बत्ती पे गाड़ी पोछते
उस मासूम की
पथराई ऑंखें याद आई
याचना के बदले मिला तिरस्कार
पैसों के बदले दुत्कार
घर में जब गर्मी न हो
वो पटाखे कैसे जलाये
जब है खाली उसके हाथ
हम फुल्झडियां कैसे छुडाएं ?
तुम ही कहो प्रिये
दीवाली हम कैसे मनाएं ?
जब खाया नही
तो दूध कहांसे आए
छाती से चिपकाये बच्चे को
सोच रही थी भूखी माँ
मिठाइयों की महक से
हो रही थी और भूखी माँ
खाली हो जब पेट अपनों के
कोई तब जेवना कैसे जेवे
अब तुम ही कहो प्रिये
दिवाली हम कैसे मनाएं?
भरी आँखों से
देखा उसने
फ़िर लिए कुछ दिए ,पटाखे मिठाइयां
संग ले मुझको
झोपडियों की बस्ती में गई
हमारी आहट से ही
नयन दीप जल उठे
पपडी पड़े होठ मुस्काए
सिकुड़ती आंतों को
आस बन्धी
अंधियारों में डूबा बच्पन
आशा की किरण से दमक उठा
अमावस की काली रात में
जब प्रसन्नता की दामिनी चमक उठी
तो अब आओ प्रिये
दीवाली हम खुशी से मनाये
सुनो न
दीवाली हम सदा एसे मनाएं
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3. Diwali Poem in Hindi - सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं
कवि:
आँचल वर्मा
अपने देश के लिए कुछ कर पा रहा हूँ मैं !
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
तुम सब सो जाओ चैन से, देश को नुकसान नहीं पंहुचा पायेगा कोई,
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
मेरी चिंता मत करो माँ ! मैं खुश हूँ तुम सबको खुश देखकर !
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
मेरी चिंता मत करो पापा ! मैं देश को नुकसान नहीं पहुँचने दूंगा !!
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
मेरे प्यारे बच्चों तुम हमेशा मुस्कुराओ ! और धूम-धाम से दिवाली मनाओ !!
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
मैं भारत माँ के इस आँचल को उजड़ने नहीं दूंगा!!
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
इस दिवाली भी खुशियो से महकेगा मेरा देश!!
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं!!
किसी आतंकी को सफल मैं होने नहीं दूंगा !!
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
दुश्मनों के नापाक इरादों को थामे बैठा हूँ मैं
क्योंकि भारत माँ का वीर सैनिक हूँ मैं
मेरे प्यारे देश वासियों तुम सब हमेशा खुश रहो
मेरे प्यारे देश वासियों तुम सब हर त्यौहार धूम-धाम से मनाओ !
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
क्योंकि सरहद पर दिवाली मना रहा हूँ मैं !!
क्योंकि भारत माँ का वीर सैनिक हूँ मैं!
4. Poems on Diwali - आज फिर से
कवि:
Harivansh Rai Bachchan
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,
आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
मैं तपोमय ज्योती की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,
स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,
किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
5. Poems on Diwali in Hindi - कवि का दीपक
कवि:
Harivansh Rai Bachchan
आज देश के ऊपर कैसी
काली रातें आई हैं!
मातम की घनघोर घटाएँ
कैसी जमकर छाई हैं!
लेकिन दृढ़ विश्वास मुझे है
वह भी रातें आएँगी,
जब यह भारतभूमि हमारी
दीपावली मनाएगी!
शत-शत दीप इकट्ठे होंगे
अपनी-अपनी चमक लिए,
अपने-अपने त्याग, तपस्या,
श्रम, संयम की दमक लिए।
अपनी ज्वाला प्रभा परीक्षित
सब दीपक दिखलाएँगे,
सब अपनी प्रतिभा पर पुलकित
लौ को उच्च उठाएँगे।
तब, सब मेरे आस-पास की
दुनिया के सो जाने पर,
भय, आशा, अभिलाषा रंजित
स्वप्नों में खो जाने पर,
जो मेरे पढ़ने-लिखने के
कमरे में जलता दीपक,
उसको होना नहीं पड़ेगा
लज्जित, लांच्छित, नतमस्तक।
क्योंकि इसीके उजियाले में
बैठ लिखे हैं मैंने गान,
जिनको सुख-दुख में गाएगी
भारत की भावी संतान!
6. Poems on Diwali in Hindi - यह दीपक है, यह परवाना।
कवि:
Harivansh Rai Bachchan
यह दीपक है, यह परवाना।
ज्वाल जगी है, उसके आगे
जलनेवालों का जमघट है,
भूल करे मत कोई कहकर,
यह परवानों का मरघट है;
एक नहीं है दोनों मरकर जलना औ’ जलकर मर जाना।
यह दीपक है, यह परवाना।
इनकी तुलना करने को कुछ
देख न, हे मन, अपने अंदर,
वहाँ चिता चिंता की जलती,
जलता है तू शव-सा बनकर;
यहाँ प्रणय की होली में है खेल जलाना या जल जाना।
यह दीपक है, यह परवाना।
लेनी पड़े अगर ज्वाला ही
तुझको जीवन में, मेरे मन,
तो न मृतक ज्वाला में जल तू
कर सजीव में प्राण समर्पण;
चिता-दग्ध होने से बेहतर है होली में प्राण गँवाना।
यह दीपक है, यह परवाना।
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