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Essay on Bhagat Singh in hindi- भगत सिंह पर निबन्ध

Posted by Unknown
» hindi essay
» Saturday, September 24, 2016
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Essay on Bhagat Singh in hindi


Essay on Bhagat Singh in hindi



हेलो दोस्तों आज हम इस post में Essay on Bhagat Singh in hindi मतलब की भगत सिंह के बारे में हिंदी निबंध पढेगे! इंडिया का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो भगत सिंह को ना जनता होगा! भगत सिंह हमारे देश के एक बहुत बड़े क्रन्तिकारी थे! भगत सिंह को अंग्रेज सरकार ने बहुत की कम उम्र में फासी की सजा सुना दिया था! भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की देन है की आज हम भारत में चैन की सास ले रहे है और अपने आपको पूरी तरह से आजाद पा रहे है! अगर भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों  ने भारत देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष ना किया हुआ होता तो शायद आज तक हम अंगेजो के गुलाम होते! और आज भी हम किसी अंगेज के घर पर गुलामी करते! भगत सिंह और उनके जैसे और सभी क्रांतिकारियों को हमको सच्चे दिल से नमन करना चाहिये! और उनके द्वारा दिए गए बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिये!

 जरा सोचिये उस माँ के ऊपर क्या गुजरा होगा जिसका बेटा केवल 22 साल की उम्र में देश के लिए हँसते हँसते फासी पर लटक गया! भगत सिंह भारत के महान रत्नों में से एक रत्न थे! जब तक भारत देश रहेगा तब तक हमारे भारत और हमारे दिन में भगत सिंह का नाम रहेगा! हमारे देश के क्रांतिकारियों ने हमारे भारत को आजाद कराने के लिए कितना दुःख और बलिदान दिया है इसका अनुमान हम नहीं लगा सकते है! इसलिए हम सबको उनके द्वारा दिए गए बलिदान को हमेसा याद रखना चाहिये! और उन सभी के प्रति अपने दिन में  एक अच्छा विचार रखन चाहिये! जिस प्रकार से हमारे क्रांतिकारियों को इस देश को आजाद कराने के लिए अपना योगदान दिया है! ठीक उसी तरह से हमको अपने भारत देश आगे लेकर जाने में अपना योगदान देना चाहिये! 


भगत सिंह का जन्म और मृत्यु- (Essay on Bhagat Singh in hindi)


भगत सिंह भारत के एक बहुत ही युवा क्रन्तिकारी थे! भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को हुआ था! भगत सिंह का जन्म  बावली गाँव में हुआ था! बावली गाँव  लायलपुर जिले में है! लायलपुर जिले पंजाब में आता है! भगत सिंह के पिता का नाम  सरदार किशन सिंह था! तथा भगत सिंह के माता का नाम विद्यावती कौर था! भगत सिंह एक सिख थे! भगत सिंह जब पढाई कर रहे थे! उस समय देश की हालत बहुत खराब थी! पुरे देश में अंग्रेजो का अधिकार था! अंग्रेज भारत में अपने अनुसार शासन चलाते थे! और अपने अनुसार लोगो से ज्यादा से ज्यादा कर भी वसूला करते थे! भारत में जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ! तब इस घटना की वजह से पुरे देश में गुस्से के लहर फ़ैल गयी! और पुरे देश में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की वजह से अंग्रेजो का विरोध होने लगा!  जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड से भगत सिंह को बहुत ज्यादा दुःख हुआ! इसी बीच भगत सिंह ने अपने पढाई बीच में ही छोड़ दी! और देश को आजादी दिलाने के लिए संघर्ष करने लगे! 

भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए तरह तरह के चीज़े अंग्रेजो के खिलाफ करने लगे! इसी बीच भगत सिंह ने सबसे पहले युवा भारत सभा की शुरुवात की! युवा भारत सभा में भगत सिंह जैसे और बहुत से युवा ने बढ़ चढ़ कर भाग लिए और सभी ने मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ तरह तरह के कांड करते रहे! इसी बीच भगत सिंह और उनके 2 साथ ने मिलकर एक पुलिस स्टेशन में बम फेक कर पुरे पुलिस स्टेशन में आग लगा दिया! इस घटना में बहुत सारे पुलिस मारे गए! इतिहाश में इस घटना को काकोरी काण्ड के नाम से जाना जाता है! इस घटना से पुरे अंग्रेज सरकार में एक तरह से खलबली मच गयी! अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह और उनके 4 साथियों की फासी की सजा सुना दिया!  जिस समय bhagat singh को फासी की सजा सुनाई गयी थी उस समय उनकी उम्र केवल 22 साल थी! केवल 22 वर्ष के आयु में भगत सिंह ने देश के लिए हँसते हँसते फासी पर लटक गए थे! उनकी इस तरह के बलिदान के लिए मै उनको सच्चे दिल से सलाम करता हु! 


भगत सिंह की फ़ाँसी- (Essay on Bhagat Singh in hindi)


भगत सिंह को जिस दिन फासी दी गयी थी वह दिन 23 मार्च 1931 का दिन था! इसी दिन भगत सिंह और उनके दो साथियों सुखदेव और  राजगुरु को फासी दी गयी थी! जब भगत सिंह सुखदेव और  राजगुरु देने के लिए ले जा रहे थे! तब इन तीनो के मुख कर फासी के लिए थोडा भी डर नहीं था! जब इनको फासी देने के लिए ले जा रहे थे तब ये तीनो ये गाना गा रहे थे! "मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे; मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला।।" जब अंग्रेजो ने इन सभी को फासी दे दिया तब अंग्रेजो के अंदर एक तरह का डर पैदा हो गया की अगर किसी को इनके फासी के बारे में पता चल गया तो पुरे देश में अंग्रेजो के खिलाफ आन्दोलन शुरु हो जायेगा! इसलिए भगत सिंह  और उनके दो साथियों को फासी देने के बाद इनके लाश को रातो रात जलाने के इतजाम कर लिया था! जब अंगेज इनकी लाश को जला रहे थे तभी गाँव के लोगों  ने उनको देख लिया! गाँव के लोगों ने अंग्रेजो पर हमला बोल दिया अंग्रेजो ने गाँव के लोगों के डर से लाश को वही पर छोड़ पर वंहा से भाग गए! गाँव के लोगों ने मिलकर भगत सिंह सुखदेव और  राजगुरु इन तीनो की लाश को अच्छी तरह से दाह संस्कार किया! भगत सिंह हमारे देश के लिए अपनी क़ुरबानी देकर हमेसा के लिए अमर हो गए! भगत सिंह, सुखदेव और  राजगुरु के फासी की खबर जब सभी लोगो ने सुना तो पुरे देश में अंग्रेज के खिलाफ विरोध शुरु हो गया! हर एक एक जगह पर अंग्रेज का विरोध होने लगा और अंग्रेज सरकार को भारत से जाने के लिए कहने लगे! 


भगत सिंह का व्यक्तित्व- (Essay on Bhagat Singh in hindi)


भगत सिंह जब जेल में बंद थे! तब वंहा पर कई तरह के ख़त और लेखो को लिखा! भगत सिंह ने अपने लेखो को कई भाषा में लिखा! भगत सिंह अपने देश में सबसे ज्यादा दुःख इस बात से थे की यंहा पर हिन्दू और मुस्लिम लोग मिलकर नहीं रहते थे! इस बात का जिक्र अपने कई लेखो में भगत सिंह ने किया था! और उनको इस बात से बहुत दुःख था! और इस बात को लेकर हमेसा दुखी रहते थे! भारत  ने कमजोर वर्ग के लिए भी बहुत दुखी रहते थे! भगत सिंह को कई भाषा का ज्ञान था जिसमे हिन्दी, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी सबसे मुख्य थी! जब भगत सिंह को फासी की सजा सुनाई गयी थी उसके बाद बहुत से लोगो ने भगत सिंह को माफ़ीनामा लिखने की सलाह दी लेकिन भगत सिंह ने ऐसा करने से तुरंत माना कर दिया! भगत सिंह अंग्रेजो के सामने किसी भी हालत में नहीं झुकना चाहते थे! जब भगत सिंह की मुलाकात चन्द्रशेखर आजाद  से हुई थी तब भगत सिंह ने चन्द्रशेखर आजाद के सामने जलती हुई मोमबती पर हाथ रखकर ये कसम खाया था! की को भारत देश की हमेसा सेवा करेंगे और भारत देख के लिए किसी भी तरह की क़ुरबानी देने से पीछे नहीं हथेंगे! भगत सिंह के इस जज्बे और जोश को हम सभी को सलाम करना चाहिये! हम सभी को भगत सिंह पर गर्व करना चाहिये!

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मै उम्मीद करता हु की Essay on Bhagat Singh in hindi आपको जरुर पसंद आया होगा! भगत सिंह को सलामी देने के लिए कम से कम इस post को एक बार सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूले!
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1 comments:

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Hindi Parag delete March 23, 2022 at 1:24 PM

अति उत्तम और उत्तम कार्य, आप उत्कृष्ट ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। ज्ञान बढ़ाने के लिए यह हमारे और सभी के लिए वास्तव में सहायक और आवश्यक जानकारी है। अपना डेटा साझा करना जारी रखें। Essay On Bhagat Singh In Hindi

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